Sunday, 6 November 2022

Superhero Horror Stories In Hindi । Superhero Hindi Kahani । Upcoming Superhero Story

Superhero Horror Stories in Hindi - Fan made superhero hindi story


Superhero Atmadev -

● Characters In Superhero Atmadev --

1. Guru Bhadrakut - गुरू भद्रकुट - आयु 500 वर्ष । भद्रकुट निवास स्थान - एक पहाडी का त्रिशंखु स्थान । कार्य - योग्य व्यक्तीयों को शक्तीशाली बनाकर समाज कार्य हेतु भेजना और लोगों को प्रेतबाधा आदी से मुक्त करना ।
2. Aatmadev - आत्मदेव आयु - 100 वर्ष । निवास स्थान - त्रिशंखु और गुजरात में छोटासा घर । कार्य - अपनी शक्तीयों से लोगों की मदद और मिठाई का बिझनेस ।
3. लाल सिंह - आयु - 30 वर्ष । कार्य - बैंक कर्मचारी । स्थान - गुजरात छोटा घर ।
4. विरजा सिंह - लाल सिंह पत्नी । कार्य - you tube पर food channel ।
5. अघोरी बाबा - आयु 60 वर्ष । कार्य - प्रेतबाधा दूर करना ।

Logline - एक बैंक कर्मचारी अपने अविश्वास के कारण प्रेतबाधित हो जाता हैं जिसे एक तांत्रित बडी कठिनाई से मुक्त करवाता हैं ।

Superhero Atmadev Story --


कहानी की शुरुआत 500 वर्ष पूर्व चंद्रपहाडी से होती हैं । चंद्र के शितल प्रकाश से पहाडी पर जडीबुटी, औषधी वनस्पती, चंद्रफुल उत्पन्न हो जाते हैं । पूरी पहाडी चंद्र के समान प्रतित होती हैं तब कुछ दिन बाद गुरू भद्रकुट अमर होने की इच्छा से चंद्रजल की खोज में निकलता हैं ।

अपनी शक्तीयों का उपयोग कर चंद्रपहाडी के बारें में पता लगाता हैं । रास्ते में जाते समय कई लोगों को प्रेतबाधाओं से मुक्त करता हैं और तब एक नर पिशाच गुरू को घेरकर तेजी से आगे बढता हैं । गुरू बिना डरे शांत होकर सभी घातक प्रहारों को विफल कर देते हैं । जब नर पिशाच अधिक उग्र रूप लेकर प्रहार करता हैं तब गुरू अपने तेज से जलाकर भस्म करके एक घडे में उसकी राख भरकर तालाब में छोड देते हैं ।

पौर्णिमा के दिन गुरू चंद्रपहाडी के पास पहूँच जाता हैं और शक्तीयाँ होने से पहाडी के दिव्य दर्शन कर पाता हैं इतने में चंद्र का प्रकाश चंद्रफुल पर गिरकर चंद्रजल का रूप लेता हैं । गुरू अपनी सात्विकता का उपयोग कर चंद्रजल को ग्रहण कर लेते हैं जिस्से वे पुन्हा शक्तीशाली तरुण बन जाते हैं और साथ हीं उनकी आयु 2 हजार वर्ष बढ जाती हैं । इतनी आयु बढने पर तमोगुण हावी होना शुरु करता हैं पर थोडी देर बाद तमोगुण निकल जाता हैं ।

तमोगुण के जाने के बाद चंद्रपहाडी के पास त्रिशंखु नाम के स्थान का निर्माण कर अपने कई सारे शिष्य बनाते हैं । वे अपने शिष्यों को इतना योग्य बनाते हैं की, वे स्वयं हीं समाज कल्याण का कार्य पूरा करते हैं । कई शिष्य अलग स्थानों पर जाकर लोगों को प्रेतों से मुक्ती दिलवाते हैं और ऐसे हीं कई उपसंगठनों का विस्तार होता रहता हैं ।

कई वर्षों बाद सन 1900 में आत्मदेव और उसका परिवार रहता हैं । आत्मदेव के परिवार में अधिकतर लोग भूतों का शिकार होने से बचते हैं । जब भी कोई भुतीयाँ घटना होने लगती तब आत्मदेव को अपने स्वप्न में चंद्रपहाडी, त्रिशंखु और गुरू भद्रकुट दिखाई देते थे । एक दिन अमावस्या के समय तांत्रिक तंत्राटक द्वारा छोडे गए अतृप्त प्रेत आत्मदेव के मातापिता को अपना शिकार बनाकर मारते हैं । अपने मातापिता को खोने के बाद आत्मदेव जिसने भी कार्य किया उसे समाप्त का निश्चय करता हैं और अंतिम संस्कार के बाद कुछ दिन बित जाते हैं ।

लगभग एक महिना होने के बाद आत्मदेव स्वप्न में आ रहे गुरूदेव को स्मरण कर चंद्रपहाडी की ओर जाने लगता हैं । आत्मदेव भलीभाँती जानता हैं, इन रास्तों पर कई घटनाए हो चुकी हैं और अधिकतर लोग रात के समय नहीं जाते हैं जिसने भी अकेले जाने का प्रयास किया सुबह उनकी लाश सडक किनारे मिल जाती हैं । डरा सहमा आत्मदेव आसपास के अजीब वातावरण को आभास करता हैं कई बार भूतों द्वारा प्रहार होते रहते हैं लेकीन गुरूदेव के स्मरण से सब विफल हो जाते हैं ।

आत्मदेव अपनी जान बचाते हुए त्रिशंखु के पास पहूँच जाता हैं लेकीन अदृश्य आवरण उसे रोकता हैं । गुरू भद्रकुट आवरण के पास आकर आत्मदेव को अंदर बुलाते हैं । तब आत्मदेव अंदर जा पाता हैं और उन्से इस आवरण के पीछे का कारण पुछता हैं, गुरू कहते हैं, ' आज से 50 वर्ष पहले कई सारे छलावे त्रिशंखु में स्थित लोगों के परिजनों का रूप लेकर आए और कई लोगों को अपना शिकार बनाया इसी कारण यह आवरण बनाया ' ऐसा कहने पर आत्मदेव का शुद्धीकरण कर शक्तीदंड प्रदान करते हैं ।

इसके बाद गुरू भूत, प्रेत, पिशाच, दैत्य, दानव, असुर, राक्षस आदी की उत्पत्ती, लोक का विस्तार से वर्णन करते हैं । आत्मदेव उन लोकों में कैसे जाया जा सकता हैं इसके विषय में पुछता हैं, तब गुरू 2 से 3 लोकों में प्रवेश करने का मार्ग बतलाते हैं । गुरू के अन्य शिष्य और साथी भी इन रहस्यों को जान नहीं पाए लेकीन द्वारपाल नाम का शिष्य चुपके रहस्य सुनकर दैत्यलोक का द्वार खोल पाता हैं ।

शिष्य द्वारपाल द्वारा दैत्यलोक का द्वार खोले जाने पर क्रोधित हुए गुरू तुरंत द्वार को बंद करने जाते हैं । द्वारपाल भी द्वार को बंद करने का प्रयास करता हैं इस बिच एक दैत्य द्वार से बाहर निकलकर अंधेरे वाले स्थान पर जाता हैं । गुरू द्वार को बंद करने के बाद शिष्य को दंड देते हैं और बाद में उस कृत्य के बुरे परिणाम को बताते हैं । कुछ दिन बाद आत्मदेव चंद्र फुल की खोज में पहाडी पर जाता हैं तब पौर्णिमा के दिन चंद्रजल को साधारण जल समझकर पीता हैं ।

आत्मदेव स्वयं की आयु 1 हजार वर्ष हो चुकी हैं इस बात से अनजान रहता हैं लेकीन गुरू सब बातें समझ कर एक नायक बनाने का तय करके आवश्यक सभी कलाए सिखाते हैं साथ हीं शक्तीशाली superhero रूप में तयार करके लोगों की सहायता हेतु शहर की ओर भेजते हैं । इसके बाद आत्मदेव साधारण से साधु के रूप में लोगों को बाधाओं से बचाता हैं । दूसरी ओर स्वयं की मिठाई का बिझनेस खोलकर अच्छा नाम कमाता हैं । आत्मदेव की पत्नी रत्ना 90 वर्ष की होने के बाद भी आज के युवा की तरह लगती हैं जिसका बेटा पवन भी उसी के साथ त्रिशंखु में रहता हैं और अपने पिता के पास जाना चाहता हैं ।

इसके बाद कहानी सीधा लाल सिंह और उसकी पत्नी विरजा सिंह की ओर मुड जाती हैं । विरजा सिंह एक housewife होने के साथ you tube पर food channel बनाकर पैसे कमाती हैं । जब्की लाल सिंह बैंक कर्मचारी के रूप में काम करते हैं और शाम को लौट आते हैं । लाल सिंह का बेटा विशाल सिंह दूसरे शहर में car company में कार्य करता हैं और आवश्यकता पडने पर पैसे भेज देता हैं ।

लाल सिंह बचपन से हीं निडर थे इस बिच उनके गाँव चंद्रपूर और अन्य गाँव के आसपास रहस्यमय घटनाए होती रहती थी । कई बार लोग उस घटना का शिकार हो जाते थे । लाल सिंह इन बातों पर कभी विश्वास नहीं करता था झुठ मानकर हँसी उडाता था । इसी प्रकार लाल सिंह वैज्ञानिक रूप से लोगों की सभी बातों को झुठ साबित करता था । हमेशा यह कहता हैं, भूत प्रेत जैसा कुछ नहीं होता सब अंधविश्वास हैं ।

एक दिन बैंक का कार्य करके शाम को घर की ओर निकलता हैं और कुछ मित्रों से गपशप करता हैं उस बिच रहस्यमय घटनाओं की बात उठती हैं । अपने मित्रों की बातों को काटकर कहता हैं, ' आत्मा जैसा कुछ नहीं होता सब झुठ हैं, अगर होती तो परेशान करती ' बाद में वैज्ञानिक तर्कों द्वारा इन बातों का मजाक उडाता हैं । उसके मित्र इन बातों को हल्के में ना लेने को कहकर चले जाते हैं ।

लाल सिंह अपनी बातों को सत्य साबित करने हेतु कई शममान आदी स्थान पर देर रात तक रुकता हैं और असाधारण बातों का मजाक उडाता हैं यह सब कार्य निडर होकर करता हैं, लाल सिंह अपने विश्वास पर अडिग रहकर सारे कार्य करता हैं, कई बार साधु आदी लाल सिंह को ऐसी मूर्खता ना करने की सलाह देते हैं और आने वाले खतरे का संकेत कर जाते हैं ।

लाल सिंह हमेशा जिस चौराहे से होकर जाता हैं उसी चौराहे के पास एक घर हैं । दुष्ट तांत्रिक अपने साथ हुए अपमान का बदला लेने हेतु कुमार परिवार के घर में आत्मा भेजता हैं । शुरुआत में आत्मा परिवार के बडे सदस्य में प्रवेश करके उत्पात मचाता हैं जिस्से तंग आकर डॉक्टर को बुलाया जाता हैं लेकीन डॉक्टर भी उसकी स्थिती से डरकर भाग जाता हैं ।

कोई उपाय ना पाकर कुमार परिवार एक तांत्रिक को बुलाते हैं वह तांत्रिक घर के द्वार पर रहकर सारी बात समझ जाता हैं और आवश्यक सामान मँगवाता हैं । कडी साधना के बाद व्यक्ती में स्थित आत्मा को निकालकर उससे जुडा सामान नींबू, मिठाई, लाल कपडा दोपहर के समय चौराहे पर रखकर चला जाता हैं तो कुमार परिवार में शांती बनी रहती हैं लेकीन दुष्ट तांत्रिक को क्रोध आ जाता हैं ।

उसी दिन उसी सुबह को लाल सिंह सायकल लेकर बैंक की ओर चला जाता हैं । रास्ते में उसे चौराहे पर तांत्रिक द्वारा रखा सामान उठाकर बैंक में चला जाता हैं । दोपहर के समय भुख लगने नाश्ता मँगवाकर खाणे लगता हैं तब उसे पोथी की याद आ जाती हैं । लाल सिंह पोथी को खोलकर मिठाई आदी खाना खाकर लाल कपडे से हाथ मुँह पोंछकर कूडेदान में फ़ेक देता हैं । शाम होते होते लाल सिंह का सिर भारी हो जाता हैं अपने सिर को पकडते हुए जल्दी घर चला जाता हैं और पत्नी से बात छुपाता हैं ।

उस दिन से लाल सिंह कमरे में बंद रहकर कभी रोता हैं तो कभी हँसता हैं । उसके साथ अजीब घटनाए तेजी से होती रहती हैं उसकी पत्नी भी ठिक से समझ नहीं पाती । कई बार लाल सिंह अपने हाथों पर चाकू, छुरी से नुकसान पहूँचाता हैं और बेहोश भी हो जाता हैं । एक पल में साधारण और दूसरे पल में अजीब बर्ताव क्रम चलता रहता हैं । एक दिन लाल सिंह हद पार करके फाँसी लगाने जाता हैं ।

इस्से पहले फाँसी पर लटक जाए उसकी पत्नी विरजा बचाकर डॉक्टर के पास जाती हैं । डॉक्टर भी लाल सिंह की हालत समझ नहीं पाते और ग्लुकोज की बोतले चढाकर चले जाते हैं । ऐसी हीं कई दिन बित जाते हैं लाल सिंह की हालत कैंसर के मरीज के समान हो जाती हैं जो विरजा से देखा नहीं जाता तब उसे एक अघोरी बाबा की जानकारी मिलती हैं ।

बिना देरी किए विरजा अघोरी बाबा के पास जाकर सारी बात बताती हैं और घर आकर पती को रस्सी से बाँध लेती हैं । उसके बाद घर आए अघोरी बाबा घर में प्रवेश करते हीं सच्चाई जान लेते हैं और तुरंत बचाना होगा कहकर लाल सिंह को कुछ देर शांत करते हैं । विरजा अघोरी के पैर पकडकर रोने लगती हैं, उसका दुख देखा नहीं जाता तब विरजा को आवश्यक सामान लाने भेजता हैं ।

कहे गए अनुसार विरजा निंबू, मिठाई, लाल कपडा लाकर अघोरी को देती हैं । अघोरी लाल सिंह को एक घेरे में कैद करके उसके चारों ओर पानी छिडककर थोडा पानी पी लेते हैं । कार्य संपन्न होने के बाद अपनी दक्षिणा लेकर अघोरी चला जाता हैं । विरजा सारे कमरों पर गोमत्र का छिडकाव कर पती का ध्यान रखती हैं । जैसे जैसे दिन बितते गए लाल सिंह पहले जैसा हो गया लेकीन उसे पिछली बातें याद नहीं रहती और हर रोज की तरह बैंक में कर्मचारी का कार्य करना शुरु करता हैं । विरजा अपने बेटे विशाल को सारी बात शुरुआत से बताती हैं बाद में यह सच्ची घटना विशाल अपने शहरी मित्र सुरेश को बताता हैं ।
और सुरेश अपने मित्र करण को बताता है, क्योंकी करण भी इन बातों को हल्के में लेता था ।

दूसरी ओर क्रोधित दुष्ट तांत्रिक चौराहे पर स्थित परिवारों पर हमला करता हैं । तब मिठाई पहूँचाने वाला आत्मदेव स्थिती को जानकर तुरंत अपने superhero रूप में आता हैं थोडी कठिनाई से सारी बाधाओं को मिटाकर दुष्ट तांत्रिक के पास जाता हैं । बहुत समझाने पर भी तांत्रिक नहीं समझता और लडने की चुनौती देता हैं ।

बहुत शक्तीयाँ होने पर भी आत्मदेव तांत्रिक के समक्ष कमजोर पडता हैं । तांत्रिक स्थिती का फायदा उठाकर आत्मदेव को प्रतों द्वारा मारने का प्रयास करता हैं । जब प्रेत मार नहीं पाते तांत्रिक के शरीर में समाकर बडी चट्टानों से प्रहार करता हैं । चट्टाओं के जोरदार टकराव से आत्मदेव थोडा घायल रूप में रक्त पोंछकर जोरदार पंच द्वारा कमजोर करता हैं । आखिर एक गुरू का नाम लेकर दिव्य द्विशूल से तांत्रिक को नष्ट कर उसके अड्डे में विस्फ़ोट कर देता हैं। वहाँ से गुरू के पास जाते समय superhero आत्मदेव की व्हिडिओज फोटोज वायरल हो जाती हैं लेकीन चेहरा ढका हुआ रहता हैं ।

यहाँ पर SUPERHERO ATMADEV की कहानी समाप्त हो जाती हैं । 

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